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महज कागजी खानापूर्ति तक सीमित यातायात विभाग की कार्यवाही , मुख्यालय के बाद मुडकी मार्ग पर यात्री सुरक्षा से खिलवाड़

महज कागजी खानापूर्ति तक सीमित यातायात विभाग की कार्यवाही , मुख्यालय के बाद मुडकी मार्ग पर यात्री सुरक्षा से खिलवाड़

वरिष्ट पत्रकार राजेश विश्वकर्मा की कलम से –
लगभग दो रोज पहले ही हमने डिंडोरी जिले की बिगड़ी हुई यातायात व्यवस्था का जिक्र किया था,लेकिन बावजूद इसके यातायात व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ। मुख्यालय में तो यातायात अराजक है ही, और जब हमने मुड़की मार्ग का मुआयना किया तो वहां के हालात बद से भी बदतर निकले ,यदि आप भी यात्री सुरक्षा से खिलवाड़ के ऐसे नजारे देखना चाहते है तो आपको मां नर्मदा का पुल पार कर देवरा ग्राम पंचायत की सरहद में जाना होगा,जहां पुल पार करते ही आपको दो से तीन अघोषित टैक्सी स्टैंड देखने मिल जायेगे।जहां चार पहिया तूफान गाड़िया और सवारी ऑटो भारी लगेज के साथ सवारियां भी ठूंस - ठूंस कर भरते है।आलम यह है की मुसाफिर अपने गंतव्य स्थान तक पहुंचने की जल्दबाजी में वाहनों में लटककर सवारी करने विवश है।जहां चार पहिया तूफान में 30 से 35 सवारियां जबरिया भरी जाती है तो वही तीन पहिया सवारी ऑटो भी लगेज के अलावा 15 से 20 सवारी भरकर फर्राटा भर रहा होता है।

कागजी खाना पूर्ति तक सीमित कार्यवाही -- जहां तक कार्यवाही की बात है तो विभागीय कार्यवाही महज कागजी खानापूर्ति तक ही सीमित होती है। हमारे प्रतिनिधि से कुछ ऐसे दो पहिया वाहन चालक भी मिले ,जिन्होंने बताया की चालानी कार्यवाही के दरमियान उनका चालान तो किया गया,किंतु उसी दौरान सवारी वाहन सवारियां भरकर भी निकले तो उन्हें नजर अंदाज कर दिया जाता है। अब 500 का दम तो हम आपको पहले ही बता चुके है,लेकिन चार पहिया वाहनों पर किस बात की मेहरबानी यह तो विभाग ही जाने ।लेकिन सूत्र यह जरूर बता रहे है की नवभारत की खबर प्रशासन पश्चात कुछ चार पहिया वाहनों पर चालानी कार्यवाही अवश्य की गई, और फिर इसके बाद तो आगे पाठ - पीछे सपाट की तर्ज पर फिर इन वाहन चालकों की मौज हो गई।

वाहन और उपकरणों का क्या...? -- कहने को तो विभाग के पास ब्रीथ एनालाइजर और इंटरसेप्टर वाहन भी उपलब्ध है,लेकिन इनका क्या उपयोग हो रहा है यह हम आपको बताते है। चालानी कार्यवाही के दरमियान यातायात विभाग ने कितने शराबी वाहन चालकों पर कार्यवाही की..? और उपकरण उपलब्ध होने के बावजूद इतनी दफा उसका उपयोग किया गया..? फिर इंटरसेप्टर वाहन का उपयोग आपने कब - कब और कहां किया..? जैसे बहुत से सवाल है जो यातायात विभाग की कार्यप्रणाली दर्शाने के लिए काफी हैं।

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